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Guru Nanak Jayanti 2019

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Guru Nanak Jayanti 2019


guru nanak jayanti 2019

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सम्मेलन में गहरे ले सुमिरन रेले सम्मेलन का रेल में रूम ना तेरी बीती उम्र हरी दिन आ रहे हैं

समीरन करें पहले ये सुमिरन करे ये ना नक्शा की रचना है ना नक्शा अर्थात गुरु नानक देवजी गुरु नानक जी का जन्म रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक गांव में कार्तिक पूर्णिमा को एक खत्रीकुल में हुआ था कुछ विद्वान इनकी जन्मतिथि थी पंद्रह अप्रैल सौ दो सौ उनहत्तर मानते हैं किंतु प्रचलित तिथि कार्तिक पूर्णिमा ही है जो अक्टूबर नवंबर में दीपावली की पंद्रह दिन बाद पड़ती इनके पिताजी का नाम कल्याणचंद या मेहता कालू जी था


माता जी का नाम तृप्ता देवी था तलवंडी का नाम आगे चलकर नानक के नाम पर ननकाना पड़ गया इनकी बहन का नाम नानकी था बचपन से इल्मी प्रखर बुद्धि के लक्षण दिखाई देने लगे थे लड़कपन से ही ये सारे विश्व से उदासीन रहा करते थे पढ़ने लिखने में इनका मन नहीं लगा सात आठ साल की उम्र में स्कूल छूट गया क्योंकि भागवत प्राप्ति के संबंध में हैं


 इनके प्रश्नों की आगे अध्यापक ने हार मान ली तथा वे इन्हें ससम्मान घर छोड़ने आ गए तत्पश्चात सारा समय भी आध्यात्मिक चिन्तन और सत्संग में व्यतीत करने लगे बचपन के समय में कई चमत्कारिक घटनाएं घटी जिन्हें देखकर गाँव के लोग उन्हें दिव्या तो मानने लगी बचपन की समय से ही


 इनमें श्रद्धा रखने वालों में इन की बहन नानकी तथा गांव के शासक राय बुलार प्रमुख थे का विवाह सोलह वर्ष की आयु में गुरदासपुर जिले के अंतर्गत लाखों की नाम स्थान की रहने वाली मुल्ला की कन्या सुलक्ष्मी किसी हुआ था बत्तीस वर्ष की अवस्था में इनके प्रथम पुत्र श्रीचंद का जन्म हुआ चार वर्ष की पश्चात् दूसरे पुत्र लखमीदास का जन्म हुआ दोनों लड़कों के जन्म के उपरांत पंद्रह सौ सात में नानक अपने परिवार का भार अपने श्वसुर पर छोड़कर मरदाना लहना वाला

रघुनाथ से जाना जाता है बचपन से ही उनके चेहरे पर दिवयेंदु था थोड़ी देर में सूरज पूरी तरह निकल गया जिससे सोते हुए गुरु जी के चेहरे पर तेज धूप पड़ने लगीं वहीं से एक व्यक्ति जिसका नाम राहुल था गुजर रहा था जब उसने देखा कि जहरीला सांप सुंदर बालक को रखने के लिए फन फैला रहा है कि घबरा गया और उसे बचाने के लिए तुरंत नजदीक आने लगा परंतु जैसी वनस्थली गया उसे समझने में देर न लगी कि साथ में फंड असली के लिए नहीं रितु उसके बालो को धूप से बचाने के लिए फैलाया हुआ है यह देवे नजारा देखकर राहुल गुरु जी का स्मरण करने लगे और उनकी शिक्षाओं में शामिल हो गए .

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